बार काउंसिल से चीफ जस्टिस तक का सफर : न्यायमूर्ति यूयू ललित देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त, इसी महीने संभालेंगे कार्यभार

New Delhi : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (Uday Umesh Lalit) को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित 27 अगस्त 2022 को भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को अगस्त 2014 में बार काउंसिल से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति एसएम सीकरी, जिन्होंने 1971 में भारत के 13वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था, के बाद न्यायमूर्ति ललित सीधे बार काउंसिल से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में प्रोन्नत होने वाले भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे।

कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए
न्यायमूर्ति ललित ने दो कार्यकालों के लिए सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है। न्यायमूर्ति यूयू ललित को अपने अब तक के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाने का श्रेय है।

बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकालत की
9 नवंबर, 1957 को महाराष्ट्र के सोलापुर में जन्मे, न्यायमूर्ति ललित को जून, 1983 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा में एक अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया गया था। उन्होंने जनवरी, 1986 में दिल्ली में वकालत शुरू करने से पहले दिसंबर, 1985 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकालत की।


वकीलों के पैनल में रहे
उन्होंने अक्टूबर 1986 से लेकर 1992 तक श्री सोली जे. सोराबजी के साथ काम किया और भारत के महान्यायवादी के रूप में सोली जे. सोराबजी के कार्यकाल के दौरान वह भारत सरकार के वकीलों के पैनल में रहे। उन्होंने 1992 से 2002 तक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के रूप में वकालत की और अप्रैल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया।

नियुक्त किया गया था
उन्हें वन से संबंधित मुद्दों, वाहनों के प्रदूषण, यमुना के प्रदूषण सहित कई महत्वपूर्ण मामलों में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया था। उन्हें 2जी से संबंधित सभी मामलों में सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया था।

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