रूस-यूक्रेन युद्ध : कोरोना से उबर रहे कारोबार पर पड़ेगा असर, कीमतें बढ़ने से बिगड़ेंगे हालात, जानें क्या बोले कारोबारी

कोरोना से उबर रहे कारोबार पर पड़ेगा नकारात्मक असर

Noida News : रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव से पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की संभावना है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। तमाम अर्थशास्त्री और कारोबारी इस विषय पर चिंता जता रहे हैं।

सेक्टर-18 मार्केट एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष एवं संयोजक कैट दिल्ली-एनसीआर सुशील कुमार जैन ने कहा कि, “रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण भारतीय व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। अर्थव्यवस्था पर भी बुरे प्रभाव देखने को मिलेंगे। सोने की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। स्टॉक एक्सचेंज मे भारी उथल-पथल मची हुई है।”

कीमतें बढ़ेंगी

उन्होंने आगे कहा, “खास तौर पर तब जब भारतीय बाजार कोविड महामारी से उभरने का प्रयास कर रहा था। युद्ध के कारण कच्चे तेल में अपेक्षित वृद्धि महंगाई को बढ़ावा देगा।  यह वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का कारण बनेगी। जबकि सोने की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि भी घातक होगी। मौजूदा परिस्थितियों के परिदृश्य में रुपया कमजोर होने की उम्मीद है, जो निश्चित रूप से भारत के व्यापार संतुलन को प्रभावित करेगा।”

हालात बिगड़ेंगे

उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से उत्पन्न वर्तमान स्थिति का आकलन करते हुए कहा कि, “चालू वर्ष में भारत का तेल आयात पहले ही बढ़ गया है। जिससे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई। थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल और संबद्ध उत्पादों की हिस्सेदारी अच्छी-खासी है। कच्चे तेल में वृद्धि से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और मुद्रास्फीति बढ़ेगी। जिससे समग्र रूप से सभी वस्तुओं के दाम में वृद्धि होने की आशंका है। माल की निर्माण और परिवहन लागत अधिक महंगी हो जाएगी। कच्चे तेल का इस्तेमाल, प्लास्टिक, फार्माश्यूटिकल्स, मशीनरी, पेंट और कई अन्य वस्तुओं आदि के निर्माण में किया जाता है, जो कीमतों को और बढ़ाने का कारक बनेगा।”

ये कारोबार होता है

कारोबारी ने आगे कहा, “कच्चे तेल के अलावा भारत दवा, कच्चे माल, सूरजमुखी, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा और इस्पात आदि का यूक्रेन से आयात करता है। जबकि भारत फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, मसाले, तिलहन और मशीनरी सामान आदि का निर्यात करता है। दूसरी ओर रूस भारत के साथ व्यापार में बहुत बड़ा भागीदार है।”

फंस सकता है

सुशील कुमार जैन ने कहा कि भारत के व्यापारी सामान्य तौर पर यूक्रेन के आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम भुगतान करते हैं। अब इसके अनिश्चितकाल के लिए फंसने की उम्मीद है। सोने की कीमतों में बढ़ोतरी घरेलू बाजार को और प्रभावित करेगी। यूक्रेन से आने वाला  अगर फंसता है, तो निश्चित रूप से इसका भारतीय व्यापारियों को नुकसान होगा। डॉलर की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि अन्य देशों के साथ व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। क्योंकि भारतीय व्यापारियों को कंसाइनमेंट के समय प्रचलित कीमत का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाएगा। भारत का समग्र व्यापार भविष्य में अस्थिर होने की उम्मीद है।

सरकार फैसला ले

उन्होंने कहा, देश का व्यापारिक समुदाय मौजूदा संकट के समय में सरकार के साथ एकजुटता से खड़ा है और देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले किसी भी कदम का समर्थन करेगा। केंद्र सरकार को रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा युद्ध पर नजर रखते हुए देश में व्यापार-वाणिज्य के लिए कुछ सहायक उपायों की घोषणा करनी चाहिये।

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