56 प्रतिशत तैयार हुआ Gorakhpur Link Expressway : मगर 4 महीने में सिर्फ 3 परसेंट निर्माण, नई डेडलाइन में पूरा करना होगा चुनौती

Gorakhpur Link Expressway

Gorakhpur News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के ड्रीम प्रोजेक्ट और बिहार, देवरिया, कुशीनगर तथा गोरखपुर समेत दर्जनों जिलों को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे (Purvanchal Expressway) से जोड़ने वाले गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे (Gorakhpur Link Expressway) का 56% काम पूरा हो चुका है। हालांकि नई डेडलाइन में भी इस एक्सप्रेसवे के तैयार होने की संभावना कम दिखाई दे रही है। क्योंकि पिछले कुछ महीनों में लिंक एक्सप्रेस वे पर महज 3-4% का काम हो पाया है।

यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर से अंबेडकर नगर, संत कबीर नगर और आजमगढ़ होते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होगा। एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद यात्रा में 5 घंटे कम लगेंगे। लिंक एक्सप्रेसवे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे (Lucknow-Agra Expreesway) से भी जुड़ जाएगा। इसी तरह यह एक्सप्रेसवे दिल्ली-लखनऊ की तरफ से आने वाले मुसाफिरों को गोरखपुर-सिलीगुड़ी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Gorakhpur-Siliguri Greenfield Expressway) से जोड़ेगा। इससे दिल्ली से बंगाल तक की कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी और करोड़ों लोगों को यात्रा में बड़ा लाभ मिलेगा।

172 गांवों की जमीन अधिग्रहित हुई
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे से चार जिलों गोरखपुर, संतकबीर नगर, आजमगढ़ और अंबेडकर नगर के 172 गांव प्रभावित हुए हैं। शासन ने इन गांवों की जमीन अधिग्रहित की है। इसमें गोरखपुर के 88 गांव, संतकबीर नगर के 4, आजमगढ़ के 43 और अंबेडकर नगर के 37 गांव के किसानों से जमीन ली गई है।

56 फीसदी तैयार हुआ
यूपीडा से मिली जानकारी के मुताबिक 21 नवंबर, 2022 तक लिंक एक्सप्रेस वे का 56% काम पूरा हो गया है। निर्माणाधीन इस एक्सप्रेसवे का सितंबर, 2022 तक क्लीयरिंग एण्ड ग्रबिंग का 100 प्रतिशत काम, मिट्टी का कार्य 78 प्रतिशत, जीएसबी का कार्य 55 प्रतिशत, डब्ल्यूएमएम का कार्य 58 प्रतिशत, डीबीएम का काम 48 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। एक्सप्रेसवे में तैयार होने वाले कुल 342 स्ट्रक्चर्स में से नवंबर, 2022 तक 304 तैयार हो चुके हैं।

इस मॉडल पर तैयार हो रहा एक्सप्रेसवे
इस एक्सप्रेस वे की की कुल लंबाई 91.352 किलोमीटर है और इस एक्सप्रेसवे के लिए 5876.67 करोड रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे गोरखपुर के नेशनल हाईवे 27 (Bypass) पर जैतपुर से शुरू होगा और आजमगढ़ जिले के सलारपुर /चैनेज में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर जाकर समाप्त होगा। हालांकि पहले गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे को चार लेन का बनाया जा रहा है, लेकिन इसे बाद में जरूरत पर 6 लेन तक विस्तार दिया जा सकेगा। इस एक्सप्रेस-वे को टोटल एक्सेस कंट्रोल मॉडल (Total Access Controll Model) पर तैयार किया जा रहा है।

99.5 फीसदी जमीन सरकार ने ली
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे का काम साल 2020 में शुरू हुआ और 4 जुलाई 2022 तक इस एक्सप्रेस वे के लिए 99.5% जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। पहले इसे साल 2022 में तैयार करने की डेडलाइन रखी गई थी। लेकिन कोविड और दूसरी वजह से अब इस एक्सप्रेसवे के तैयार होने में देरी हो रही है। अब शासन ने 2023 की डेडलाइन तय की है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का राइट-ऑफ-वे (आरओडब्ल्यू) 110 मीटर है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी यूपीडा (UP Expressways Industrial Development Authority-UPEIDA) इस पूरे प्रोजेक्ट को 2 पैकेज में बांट कर पूरा करा रही है। पैकेज-1 के लिए एपको इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (APCO Infrastructure Pvt Ltd) और पैकेज-2 के लिए दिलीप बिल्डकॉन (Dilip Buildcon) को चयनित किया गया है।

ये खासियत होगी
एक्सप्रेसवे के निर्माण में 2 टोल प्लाजा, 3 रैम्प प्लाजा, 7 फ्लाई ओवर, 16 व्हेकुलर अण्डरपास, 50 लाइट व्हेकुलर अण्डरपास, 35 पेडेस्ट्रियन अण्डरपास, 7 दीर्घ सेतु, 27 लघु सेतु तथा 389 पुलियों का निर्माण भी किया जा रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना के दोनों पैकेजों के बिल्डरों का चयन ई-टेंडरिंग के जरिए किया गया है। इस परियोजना में न्यूनतम निविदा अनुमानित लागत से 3.12 प्रतिशत कम हो गई है। इससे यूपीडा को लगभग 96 करोड़ का लाभ हुआ है। पैकेज-1 का निर्माण कार्य 10 फरवरी, 2020 से तथा पैकेज-2 का निर्माण कार्य 19 जून, 2020 से प्रारम्भ किया गया है।

क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पूरा होने पर उत्तर प्रदेश सरकार बुनियादी ढांचे की मजबूती के मोर्चे पर एक और मील का पत्थर हासिल कर लेगी। एक्सप्रेसवे से जुड़े क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन ईकाइयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेसवे के निकट इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना के भी अवसर सुलभ होंगे। यह एक्सप्रेसवे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भण्डारण ग्रह, मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने पर क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा।

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