Ganga Expressway : उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Ganga Greenfield Expressway) के लिए 11,000 से ज्यादा पेड़ काटे जाने हैं। अब तक करीब 2700 वृक्ष काटकर सड़क निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने इस एक्सप्रेस-वे के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस को मंजूरी दे दी है।
आरईसी ने दी मंजूरी
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी-यूपीडा (Uttar Pradesh Expressways Industrial Development Authority – UPEIDA) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO UPEIDA) अवनीश कुमार अवस्थी की अध्यक्षता में 8 जून, 2022 को 75वीं बोर्ड बैठक यूपीडा कार्यालय में सम्पन्न हुई थी। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (Boards of Directors) की इस बैठक में अवनीश कुमार अवस्थी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने बताया था कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से गठित रीजनल एंपावर्ड कमेटी (Regional Empowered Committee – REC) की बैठक में गंगा एक्सप्रेसवे के फॉरेस्ट क्लीयरेन्स (Ganga Expressway Forest Clearance) के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
11000 पेड़ एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट में आ रहे
गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे रूट में कुल 11163 पेड़ पड़ रहे हैं। इसके लिए 1035 आवेदन केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय को भेजे गए थे, जिसमें से 846 आवेदनों पर केंद्रीय मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है। इसके तहत कुल 8731 पेड़ों को काटने की मंजूरी मिली है। इनमें से 2697 वृक्ष अब तक काटे गए हैं। 2 अक्टूबर तक गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के क्लीयरिंग और ग्रबिंग का कुल 67.81 प्रतिशत काम हुआ है। इसमें सेक्शन 1 में 81 फ़ीसदी, सेक्शन 2 में 74%, सेक्शन 3 में 60% और सेक्शन 4 में 57% काम हुआ है। दरअसल पिछले कुछ वक्त से उत्तर प्रदेश में हो रही लगातार भारी बारिश के चलते एक्सप्रेस के निर्माण कार्य में बाधा आई। लेकिन अब काम में तेजी आ रही है।
मेरठ से शुरू होगा
प्रवेश नियंत्रित गंगा एक्सप्रेसवे (Total Access Controlled) मेरठ-बुलन्दशहर मार्ग (N.H.334) पर जनपद मेरठ के बिजौली ग्राम के समीप से प्रारम्भ होगा एवं प्रयागराज बाईपास (N.H.2) पर जनपद प्रयागराज के जुड़ापुर दॉदू गांव के समीप समाप्त होगा। सब कुछ ठीक रहा तो साल 2024 तक इस एक्सप्रेसवे को तैयार कर लिया जाएगा।
12 जिलों से गुजरेगा
यह एक्सप्रेसवे यूपी के 12 जिलों को सीधे जोड़ेगा। गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज से होकर जायेगा। शुरुआत में यह एक्सप्रेसवे 6 लेन का तैयार हो रहा है। लेकिन बाद में इसे 8 लेन तक विस्तार दिया जा सकेगा। इसकी लम्बाई 594 किमी (593.947 किमी) एवं राइट ऑफ वे 120 मीटर है। गंगा एक्सप्रेसवे पर प्रवेश एवं निकासी के लिए अतिरिक्त 17 स्थानों पर इण्टरचेंज की सुविधा दी जाएगी। आपातकाल में वायु सेना के विमानों के लैण्डिंग और टेक ऑफ के लिए जनपद शाहजहांपुर में एक्सप्रेसवे पर हवाई पट्टी विकसित की जाएगी।
120 किमी स्पीड होगी
एक्सप्रेसवे के आस-पास के गांवों के निवासियों को सुगम आवागमन की सुविधा के लिए स्टैगर्ड के रूप में 3.75 मीटर सर्विस रोड का प्रावधान किया गया है। एक्सप्रेसवे निर्माण के अंतर्गत 7 आरओबी, 14 दीर्घ सेतु, 126 लघु सेतु, 381 अण्डरपास का निर्माण कराया जाएगा। इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे का डिजाइन स्पीड 120 किमी/घण्टा के आधार पर तैयार हुआ है। इसमें ग्रुप की संख्या 4 (प्रत्येक ग्रुप में 03 पैकेज) रहेगी। इस पर जन सुविधा परिसर 9, मुख्य टोल प्लाजा 2 (मेरठ एवं प्रयागराज), रैम्प टोल प्लाजा 15, गंगा नदी पर लगभग 960 मीटर एवं रामगंगा नदी पर लगभग 720 मीटर लम्बाई के बड़े पुल बनाए जाएंगे।
इतनी लागत आएगी
गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना की आकलित सिविल निर्माण लागत लगभग 22,125 करोड़ रुपये है। एक्सप्रेसवे के लिए जरूरी भूमि अधिग्रहण में कुल 9,255 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी। प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपये है। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
पिछले साल हुआ शिलान्यास
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिसंबर, 2021 को शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था। विधानसभा चुनाव के बाद एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू करने का निर्णय लिया गया था। बिड के मुताबिक अडानी ग्रुप के अधिकारियों की टीम मशीनों के साथ बदायूं पहुंची थी। भूमि पूजन के बाद एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू कर दिया गया था।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक पहुंचेंगे प्रोडक्ट
देश के दूसरे सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण से न केवल ऐतिहासिक नगरी मेरठ और सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के बीच आवागमन में सुविधा मिलेगी, बल्कि रोजगार और कारोबार के संसाधन भी विकसित होंगे। इस एक्सप्रेस वे के बनने के बाद इससे जुड़े क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास होगा। कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इससे देश के विकास को बल मिलेगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्रदेश के 12 जनपदों में निर्मित उत्पाद सरलता से राजधानी दिल्ली और एनसीआर के शहरों तक पहुंच जाएंगे।