Deoria News : देवरिया के भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र (Bhatpar Rani Assembly Constituency) में पिछले 7 साल से एक राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) निर्माणाधीन है। लेकिन अब तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। अब यूपी विधानसभा चुनाव-2022 (UP Vidhansabha Chunav-2022) से पहले यहां मतदान की व्यवस्था की जा रही है। स्थानीय युवकों में शासन-प्रशासन की उदासी से रोष है। उन्हें लगता है कि यह आईटीआई शायद उनके बच्चों के बड़े होने तक निर्मित हो जाए।
भाटपार रानी के साहनी गांव में गवर्मेंट आईटीआई की आधारशिला 12 मई, 2014 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने रखी थी। गांव और आसपास के इलाकों के युवाओं को उम्मीद थी कि सरकारी संस्थान में पढ़कर उन्हें नौकरी मिल जाएगी। लेकिन सात साल बाद भी भवन अधूरा है। हर तहसील में आधुनिक कौशल विकास केंद्र स्थापित करने के पार्टी के लंबे दावों के बावजूद, 2017 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद निर्माण कार्य और धीमा हो गया।
तैयार किया जा रहा
आईटीआई भवन में न तो खिड़कियां हैं और न ही बिजली की फिटिंग है। मतदान की तारीखों के करीब आने के साथ ही इसे तैयार किया जा रहा है। भवन में कार्यशालाएं भी अधूरी हैं। जब आईटीआई का निर्माण शुरू हुआ, तब गांव के रंजीत साहनी ने 12वीं पास की थी। उन्होंने संस्थान में दाखिला लेने की योजना बनाई थी। उन्हें उम्मीद थी कि आईटीआई की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल सकेगी। लेकिन उनका सपना चकनाचूर हो गया। सालों बाद भी गांव में आईटीआई नहीं है।
2 साल पहले शुरू हो गया था एडमिशन
दिलचस्प बात यह है कि भवानी छापर आईटीआई के लिए प्रवेश प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी। तब भवन निर्माणाधीन था। नतीजतन, नामांकित छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने के लिए 40 किमी की यात्रा करनी पड़ी। गांव के इकलौते छात्र विपिन कुमार साहनी ने 2019 में वेल्डिंग सीखने के लिए दाखिला लिया। देवरिया जाने के लिए उन्हें रोजाना 100 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
भाजपा सरकार पर आरोप
भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक आशुतोष उपाध्याय का कहना है कि भाजपा सरकार ने आईटीआई के निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि जारी नहीं की। अभी तक 70 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है। आधारशिला रखने के समय समाजवादी पार्टी सरकार ने आईटीआई के लिए बजट का 50% वितरित किया था, लेकिन अगले पांच वर्षों में धन की अनुपलब्धता के कारण काम पूरा नहीं हो सका। उपाध्याय का आरोप है कि भाजपा सरकार ने उनके क्षेत्र में आईटीआई निर्माण को बल नहीं दिया, क्योंकि वह विपक्षी दल के विधायक हैं। उनके विधानसभा क्षेत्र के महुआबारी गांव में एक स्टेडियम का निर्माण कार्य भी सुस्त है।
कद्दावर नेता थे
आशुतोष उपाध्याय यूपी-बिहार सीमा पर स्थित भाटपार रानी विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं। इस बार भी वह सपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। उपाध्याय के पिता कामेश्वर उपाध्याय क्षेत्र से पांच बार विधायक और अखिलेश यादव सरकार में ग्रामीण विकास, खेल और युवा कल्याण मंत्री थे।
तीन मार्च को होगा चुनाव
इस चुनाव में भाजपा ने सभाकुंवर और बसपा ने अजय कुशवाहा को क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। केशव चंद्र यादव कांग्रेस से और श्री राम कुशवाहा भाकपा (माले) से चुनाव लड़ रहे हैं। देवरिया जिले में सात विधानसभा क्षेत्र हैं और छठे चरण में 3 मार्च यहां को मतदान होना है। पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की सात में से 6 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। भाटपार रानी सीट पर सपा जीती थी।
6 आईटीआई हैं
देवरिया जिले में छह सरकारी आईटीआई हैं। जिले की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 31 लाख से अधिक है। इनमें भवानी छापर में निर्माणाधीन आईटीआई और बरहज, देवरिया, बैतालपुर, गौरी बाजार तथा सलेमपुर में आईटीआई शामिल हैं। भवानी छापर के बाद साल 2016 में बरहज में एक आईटीआई को मंजूरी दी गई थी। दो साल पहले यहां कक्षाएं शुरू हुई थीं। जिले में 28 निजी आईटीआई हैं, जहां 10वीं और 12वीं पास छात्रों को इंजीनियरिंग और गैर-इंजीनियरिंग ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्तमान में यूपी में सरकारी और निजी आईटीआई में 71 इंजीनियरिंग और 39 गैर-इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
फायदा मिलेगा
भाजपा के सत्ता में आने के बाद से देवरिया में कोई नया आईटीआई नहीं बनाया गया है। देवरिया आईटीआई के प्राचार्य व जिले के सभी 6 आईटीआई के नोडल अधिकारी शोभनाथ का कहना है, “भवानी छापर आईटीआई के निर्माण में राशि नहीं मिलने से देरी हुई है। दो साल तक काम ठप रहा। अब जबकि फंड जारी कर दिया गया है, काम फिर से शुरू हो गया है। यहां चार वर्कशॉप बनाने का प्रस्ताव है। आईटीआई का शैक्षणिक सत्र 2019 से शुरू हुआ था। चार शिक्षकों की नियुक्ति की गई है और छात्रों का नामांकन किया गया है। देवरिया के युवा आईटीआई का महत्व जानते हैं और बड़ी संख्या में प्रवेश चाहते हैं। इलाके में आईटीआई बनने से यहां के छात्रों को काफी फायदा होगा।”