Deoria News : डीबीडब्ल्यू-222 (DBW-222) गेहूं की नई और उन्नत किस्म मानी जाती है। जिन क्षेत्रों का जलस्तर तेजी से घट रहा, उन क्षेत्रों के लिए यह किस्म किसी वरदान से कम नहीं है। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) करनाल ने विकसित किया है। यह किस्म किसानों के बीच 2019 में आई है।
गेहूं की बुवाई का सही समय
गेहूं की इस उन्नत किस्म की बुवाई 25 अक्टूबर से 25 नवंबर तक करना चाहिए। इसके बीज की मात्रा 40 किलो प्रति एकड़ लगती है। इसके पौधे की ऊंचाई 100 सेंटीमीटर तक होती है। वहीं इसका तना थोड़ा मोटा होने के कारण इसकी जड़ मिट्टी में अधिक गहराई तक जाती है।
इसलिए तेज हवा चलने पर भी इसका पौधा गिरता नहीं है। इस किस्म की खासियत है कि इसका पौधा आधा फीट का होते ही बालियां आने लगती हैं। इस कारण से अच्छी पैदावार होती है। रोटी बनाने के लिए यह काफी अच्छी किस्म मानी जाती है।
गेहूं की फसल को चार सिंचाई की जरूरत
यह किस्म उन क्षेत्रों के वरदान साबित हो रही है, जहां जलस्तर साल दर साल नीचे जा रहा है। कम पानी में भी यह किस्म अच्छी पैदावार देती है। जहां अन्य गेहूं की किस्मों में बुवाई से लेकर कटाई तक 6 सिंचाई तक करना पड़ती है, वहीं इस किस्म में सिर्फ 4 सिंचाई की जरूरत होती है। इस तरह डीबीडब्ल्यू 222 किस्म 20% पानी की बचत करती है। इसमें किसी तरह की बीमारी भी कम आती है।
इतनी उपज देती है
गेहूं की यह उन्नत किस्म 143 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 65.1 क्विंटल से 82.1 क्विंटल की पैदावार ली जा सकती है। पैदावार के हिसाब से किस्म किसानों के लिए गेहूं की यह किस्म बेहद फायदेमंद है।