सुनवाई : बांझपन से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, याची ने आंकड़ों को बनाया आधार

Supreme court

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने सोमवार को देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में ढील देने की मांग वाली एक याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने द टेम्पल ऑफ हीलिंग के सचिव पीयूष सक्सेना के माध्यम से दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता ने कहा है कि देश में बच्चों को गोद लेने की संख्या में सुधार के लिए भारत सरकार को कदम उठाने होंगे। इस लिए केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया जाए।

14 फीसदी दंपति प्रभावित हैं

याचिका में तथ्यों का हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया था कि इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (Indian Society of assisted reproduction) के अनुसार, वर्तमान में भारतीय आबादी के 10 से 14 प्रतिशत दंपति बांझपन से प्रभावित हैं।

3 करोड़ दंपति प्रयासरत हैं

यह अनुपात शहरी क्षेत्रों में जोड़ों के बीच अधिक है। शहरी क्षेत्र में 6 दंपति में से एक बांझपन से प्रभावित है। समस्या इसलिए भी विकराल है कि सक्रिय रूप से गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे लगभग 3.2 करोड़ जोड़े बांझपन से पीड़ित हैं। याचिका में कहा गया है कि उनमें से तमाम दंपति बच्चे को गोद लेना चाहते हैं।

प्रचार-प्रसार हो

याचिकाकर्ता ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को हमा (हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956) का पर्याप्त प्रचार करने का निर्देश देने की मांग की है। हालांकि यह अधिनियम कानून मंत्रालय ने तैयार किया है। देखना है केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में क्या जवाब दाखिल करती है।

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