Lahore : पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व अंपायर असद रऊफ (Asad Rauf) का लाहौर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 66 साल के थे। इससे दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों में निराशा है। रऊफ ने साल 2000 में अंपायर के रूप में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होंने 64 टेस्ट मैच में अंपायरिंग की। इनमें वह 49 मैचों में फील्ड अंपायर जबकि 15 मैचों में टीवी अंपायर रहे। इसके अलावा उन्होंने 139 वनडे और 28 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी अंपायरिंग की। वह 2000 के दशक में पाकिस्तान के प्रमुख अंपायरों में से एक थे।
दिल का दौरा पड़ा
उनके परिजनों ने बताया कि रऊफ को बुधवार की रात को दिल का दौरा पड़ा। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके भाई ने लाहौर में कहा,‘‘ वह पिछले दो दिन से अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे और जल्दी घर आ गए थे। चिकित्सकों ने बताया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है।’’
मुस्कान बिखेर देते थे
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (Pakistan Cricket Board) के अध्यक्ष रमीज राजा ने ट्वीट करके कहा, ‘‘असद रऊफ के निधन का समाचार सुनकर बहुत दुखी हूं। वह न केवल एक अच्छे अंपायर थे, बल्कि उनमें हास्य का पुट भी भरा था। वह हमेशा मेरे चेहरे पर मुस्कान बिखेर देते थे और जब भी मुझे उनकी याद आएगी तो वह ऐसा करेंगे। उनके परिवार के प्रति मेरी सहानुभूति है।’’
11 मैचों में अंपायरिंग की
रऊफ ने पाकिस्तान के नेशनल बैंक और रेलवे की तरफ से 71 प्रथम श्रेणी मैच खेले और बाद में वह अंपायर बन गए। उन्हें अप्रैल 2006 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के एलीट पैनल में शामिल किया गया था। उन्होंने महिला टी20 में भी 11 मैचों में अंपायरिंग की।
2013 में खत्म हुआ करियर
अलीम दार के साथ वह पाकिस्तान के प्रमुख अंपायरों में शामिल रहे। हालांकि 2013 में उनका करियर तब समाप्त हो गया, जब मुंबई पुलिस ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग में उन्हें एक आरोपी बनाया। तब रऊफ इस टूर्नामेंट में अंपायरिंग कर रहे थे।
फिक्सिंग के आरोप लगे
वह तब आईपीएल को बीच में ही छोड़कर भारत से चले गए थे और बाद में चैंपियंस ट्रॉफी से भी हट गए थे। उन्हें इसके बाद आईसीसी एलीट पैनल से बाहर कर दिया गया था। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने वर्ष 2016 में उन पर भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार के लिए 5 साल का प्रतिबंध लगाया था।
प्रतिबंध लगा दिया था
बीसीसीआई के बाद पीसीबी ने भी उन पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे वह घरेलू मैचों में भी अंपायरिंग नहीं कर पाए। उन्हें पाकिस्तान में क्रिकेट से जुड़ी सभी गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने लाहौर में कपड़ों और जूतों की दुकान खोल दी थी और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे।