Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने यूपी के कानपुर देहात जिले में हुई घटना पर दुख जताया है। सीएम ने कहा कि कानपुर देहात जैसी घटना दुःखद है। हमारी एसआईटी काम कर रही है। मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए गए हैं। यह संवेदनशील मामला है, रिपोर्ट आने पर दूध का दूध-पानी का पानी कर देंगे।
दरअसल कानपुर देहात के मंडोली गांव में हुई शर्मनाक घटना आग की तरह फ़ैल चुकी हैं। परिजनों के साथ- साथ ग्रामीणों और सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट रहा है। लोग लगातार दोषियों की गिरफ़्तारी और डीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पूरे मामले में अभी तक सिर्फ दो ही लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इसमें जेसीबी चालक दीपक जोशी और लेखपाल अशोक सिंह शामिल है। हालांकि, अभी तक अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जबकि एसडीएम और एसएचओ समेत करीब 30 लोगों को आरोपी बनाया गया है। शायद यही वजह है कि लोग अभी भी सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं डीएम नेहा जैन के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
ग्रामीणों की लेखपाल से नाराजगी के कारण
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जब भी कोई ज़मीन का निर्माण होता तो लेखपाल वसूली के लिए आ जाता है। इस घटना में एसडीएम मैथा, एसओ दिनेश कुमार गौतम आरोपी अनिल, अशोक, निर्मल दीक्षित समेट पूरे मामले में 11 नामजद और 12 से 15 महिला व पुरुष पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इसी बीच सोशल मीडिया पर डीएम नेहा जैन को कैलाश खेर के गाने डांस का वीडियो देख लोगों के बीच आक्रोश है कि आखिर अब तक डीएम के खिलाफ़ मुक़दमा क्यों दर्ज़ नहीं किया गया।
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
नेहा जैन पर परिजनों का आरोप है कि इनके इशारों पर बुल्डोजर चलाया गया। इस मामले से पहले भी डीएम नेहा जैन कई अन्य विवादों में फस चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पीछे लखनऊ के कई बड़े अफसरों का सहयोग्य है जिसके चलते वो अपनी मनमानी करती है। देर रात इधर लाश जलती रही उधर रूरा के गांव मंडोली की डीएम नेहा जैन के डांस का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसे देख लोग डीएम के खिलाफ़ करवाई की मांग कर रहे हैं।
लेखपाल ने रिश्वत लेकर लगाई गलत रिपोर्ट – परिजन
परिजनों का कहना है कि यह पूरी घटना पारिवारिक विवाद से हुई। परिवार के ही गेदन लाल ने कृष्ण गोपाल पर सरकारी ज़मीन पर कब्जा करने की डीएम से शिकायत की थी। जिसके बाद एसडीएम ने घटना की जांच की और 13 जनवरी को ज़मीन पर कब्जा करने के लिए झोपड़ी गिरवा दी। परिजनों का कहना है कि लेखपाल ने गेदन लाल से रिश्वत लेकर पीड़ित परिवार के खिलाफ गलत रिपोर्ट भेजी थी।