Uttar Pradesh : अपनी खेल नीति में ई-स्पोर्ट्स को शामिल करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने नई खेल नीति 2023 को मंजूरी दी, जिससे राज्य में खेलों की दिशा में बड़े सुधार दिखाई देंगे।
यूपी खेल विभाग खेल भागीदारी के हर स्तर पर बुनियादी ढांचे को उन्नत और विकसित करने की योजना बना रहा है। इसके तहत खेल नर्सरी, उन्नत प्रशिक्षण केन्द्र (एटीसी), उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई), उच्च प्रदर्शन केन्द्र (एचपीसी) जैसे प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। अगले 05 वर्ष में राज्य में कम से कम 14 उत्कृष्टता केन्द्र तथा 05 उच्च प्रदर्शन केन्द्र स्थापित किए जाएंगे।
प्रत्येक जिले में जिला केन्द्र बनाए जाएंगे। खेल और शारीरिक गतिविधि की संस्कृति को बढ़ावा देने के अन्तर्गत खेल विभाग और शिक्षा विभाग राज्य के सभी स्कूलों के लिए शिक्षा पाठ्यक्रम के भीतर खेल को एकीकृत करने के लिए मिलकर काम करेंगे। फिट-यूपी आन्दोलन के तहत विकसित की गयी पहलों को सभी प्रासंगिक समूहों-बच्चों, वयस्कों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए पूरे राज्य में व्यापक रूप से प्रचारित एवं कार्यान्वित किया जाएगा।
खेल नीति का उद्देश्य खिलाड़ियों की भागीदारी सम्बन्धी आवश्यकताओं और उनके खेल कैरियर के दौरान और बाद में उनकी समग्र भलाई को पूरा करना है। इसलिए खिलाड़ियों को पुरस्कार/प्रोत्साहन/सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न पहल की जाएगी।
खिलाड़ियों को विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों में उनके प्रदर्शन के लिए नगद पुरस्कार दिए जाएंगे। विभाग न केवल व्यक्तिगत एथलीटों के लिए बल्कि टीमों के लिए उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए खिलाड़ियों का समर्थन करने वाले कर्मियों के लिए भी वार्षिक पुरस्कारों की संख्या में वृद्धि करेगा।
आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश में खेल योजनाओं के सभी एथलीट, कोच और खेल विज्ञान कर्मचारी और उनके परिवारों को 05 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कवर किया जाएगा। इन सभी कर्मियों को पर्याप्त कवरेज के साथ व्यक्तिगत दुर्घना बीमा पाॅलिसी द्वारा भी कवर किया जाएगा।
सभी खिलाड़ी, जिन्होंने वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर और उससे ऊपर राज्य का प्रतिनिधित्व किया है, वे खिलाड़ियों के लिए राज्य पेंशन योजना का हिस्सा होंगे। इन खिलाड़ियों को, जिस स्तर पर उन्होंने भाग लिया है, उसके आधार पर मासिक पेंशन दी जाएगी। सरकारी नौकरियों की भर्ती में खेल कोटा तथा एथलीटों के लिए विश्वविद्यालयों में प्रवेश की व्यवस्था होगी।
खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अगले 05 वर्ष में विशेष रूप से नर्सरी स्तर की खेल अकादमियां शुरू की जाएंगी। पैरा स्पोर्ट्स पर फोकस के लिए पैरा स्पोर्ट्स और पैरा एथलीट को विभाग की हर योजना में शामिल किया जाएगा। राज्य द्वारा पैरा स्पोर्ट्स के लिए विशेष प्रशिक्षकों की भर्ती की जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा खोज का आयोजन तथा खेल अकादमियों में उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान एवं इन खेल अकादमियों का वित्त पोषण भी किया जाएगा। स्वदेशी खेलों और जल क्रीड़ाओं के संवर्धन के प्रयास भी किए जाएंगे। राज्य में खेल उपकरण के लिए विनिर्माण क्लस्टर विकसित करने और खेल क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए जाएंगे।
राज्य सरकार 10 करोड़ रुपये के प्रारम्भिक कोष के साथ उत्तर प्रदेश खेल विकास कोष बनाएगी। खेल विभाग, उद्योग निदेशालय के सहयोग से, राज्य के भीतर खेल के सामान के निर्माण को बढ़ावा देने और प्रोत्साहन देने के लिए एक रणनीति तैयार करेगा। प्रदेश में पहले से ही मेरठ में एक सम्पन्न खेल सामग्री क्लस्टर है।
प्रदेश को स्पोर्ट्स गुड्स प्रोडक्शन हब के रूप में स्थापित करने के लिए अतिरिक्त क्लस्टर भी स्थापित किए जाएंगे। खेल विभाग राज्य से खेल सामग्री को निर्यात को बढ़ावा देने का भी प्रयास करेगा। मेरठ में मेजर ध्यानचन्द खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। राज्य में निजी खेल विश्वविद्यालय की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। खेल विभाग खेल आधारित स्टार्ट-अप के लिए इन्क्यूवेशन सेल स्थापित करेगा।
ई-स्पोर्ट्स युवाओं तक पहुंचने का महत्वपूर्ण साधन है। एक स्वस्थ वातावरण और विकसित खेल पारिस्थितिकी खेल तंत्र की आवश्यकता को महसूस करते हुए प्रदेश का खेल विभाग आधिकारिक तौर पर अपनी खेल नीति में ई-स्पोर्ट्स को शामिल करने वाला पहला राज्य बन गया है। ई-स्पोर्ट्स को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए स्कूल/काॅलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, प्रतिभा पहचान और प्रतिभा विकास माॅडल विकसित करने का प्रयास किया जाएगा।
राज्य में एक ई-स्पोर्ट्स सेण्टर स्थापित करने के लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं का समर्थन किया जाएगा, जिसमें हर जिले में ई-स्पोर्ट्स एथलीटों के लिए समर्पित बुनियादी ढांचा हो। नीति के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए राज्य सरकार एक स्वायत्त निकाय (राज्य खेल प्राधिकरण) का गठन करेगी।