किसान गौ-आधारित खेती के जरिए पहले वर्ष से अच्छी आमदनी ले सकते हैं : सीएम योगी

प्रदेश में 5 कृषि विश्वविद्यालय, 89 कृषि विज्ञान केन्द्र एवं 10 एग्रो क्लाइमेटिक जोन आधारित 10 संभागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्र प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे

प्रदेश सरकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर से प्रयास कर रही

राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती से जुड़े अग्रणी कृषकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत किया जा रहा

Uttar Pradesh : सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा कि आज हमें कृषि को उर्वरकों एवं पेस्टीसाइड से मुक्त करने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती के विभेद को किसानों एवं जनता के समक्ष स्पष्ट रूप से रखना होगा। जैविक खेती में एक चक्र होता है, जिसे पूरा करने के बाद ही यह खेती अपने पूर्व की स्थिति में आती है। लघु एवं सीमान्त किसान इसका इन्तजार नहीं कर सकते। इसलिए जैविक खेती को अपनाना उसके लिए कठिन होता है। लेकिन प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसान पहले ही वर्ष से गौ-आधारित खेती के माध्यम से अच्छी आमदनी ले सकते हैं।

सीएम ने कहा कि हमें प्राकृतिक खेती के कार्यक्रम को विस्तार से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश में इस तरह के अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। प्रदेश की 1038 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक खेती विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए 56 हजार से अधिक कृषकों को व्यवस्थित रूप से प्रशिक्षित किया गया है। दिसम्बर, 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के प्राकृतिक खेती पर वर्चुअल संवाद के सजीव प्रसारण में प्रदेश के 1055 कृषकों ने प्रतिभाग किया। प्रदेश के सभी 825 विकास खण्डों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों पर इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण कराकर 01 लाख 65 हजार कृषकों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया गया था। राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती से जुड़े अग्रणी कृषकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत भी किया जा रहा है।

कार्ययोजना लागू हो रही

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 5 कृषि विश्वविद्यालय, 89 कृषि विज्ञान केन्द्र एवं 10 एग्रो क्लाइमेटिक जोन आधारित 10 संभागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्र हैं, जो प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति के अन्तर्गत प्रदेश के 35 जनपदों के लिए 38,670 हेक्टेयर क्षेत्रफल में केन्द्र से स्वीकृत 82.83 करोड़ रुपये लागत की कार्ययोजना क्रियान्वित की जा रही हैं। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्रदेश के 07 जिले सम्मिलित हैं। प्रदेश सरकार यहां पर भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर से प्रयास कर रही है।

लागू किया जा सकेगा

मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि राज्य सरकार द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों व कृषि विज्ञान केन्द्रों में संचालित गौ-आधारित प्राकृतिक खेती पर शोध एवं प्रशिक्षण के लिए प्रदर्शन के कार्यक्रमों को और प्रभावी बनाया जाए। इस के लिए आईसीएआर (ICAR) की देखरेख में कृषि विश्वविद्यालयों व कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ-साथ आईसीएआर के संस्थानों द्वारा भी इसे संचालित किया जाए। इससे प्रदेश के विभिन्न एग्रो क्लाइमेटिक जोन के लिए उपयुक्त फसलों व उनकी प्रजातियों का चिन्हीकरण हो सकेगा, जिन्हें कृषकों द्वारा अपनाने से योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन होगा।

इतनी राशि मिलती है
उन्होंने कहा कि परम्परागत कृषि विकास योजनान्तर्गत जैविक खेती के लिए 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का प्राविधान है। इसमें से कृषकों को प्रोत्साहन के लिए प्रति किसान 31 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए अनुमन्य है। परन्तु भारतीय प्राकृतिक खेती पद्धति के दिशा-निर्देशों में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के लिए मात्र 21 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का ही प्राविधान है, जिसमें कृषकों को प्रोत्साहन के रूप में मात्र 2 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष के लिए अनुमन्य है।

प्रोत्साहन धनराशि बढ़ाई जाएगी

उन्होंने अनुरोध किया कि इस योजना के अन्तर्गत भी कृषकों के लिए प्रोत्साहन की धनराशि को बढ़ाकर 31 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) के समतुल्य किया जाना उचित होगा। उन्होंने कहा कि जैविक खेती या प्राकृतिक खेती से जुड़े कृषकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती उनके उत्पाद का मूल्य संवर्धन एवं विपणन है। इसके दृष्टिगत उन्होंने योजनाओं के दिशा-निर्देशों में ही मार्केट प्रोमोशन तथा ब्रॉण्डिंग की व्यवस्था भी समाहित करने के लिए समुचित वित्तीय व्यवस्था का समावेश किया जाना चाहिए।

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